होटलों में बची हुई साबुन से होता है ये काम, रूम बुक करने वाले लोगों को पता नही होगी ये बात Hotel Soap Reuse

Hotel Soap Reuse: जब हम किसी अनजान शहर या देश में जाते हैं और होटल में ठहरते हैं, तो वहां की सुविधाएं हमें आरामदायक अनुभव देती हैं . होटल्स में गेस्ट्स के लिए हैंड वॉश, बाथ सोप, शैम्पू जैसी चीजें आमतौर पर मुफ्त दी जाती हैं . लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब मेहमान होटल से चेक आउट कर जाते हैं तो ये अधूरे प्रोडक्ट्स कहां जाते हैं? क्या इन्हें फेंक दिया जाता है या दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है?

अमेरिका में हर महीने लाखों साबुन बचते हैं

सिर्फ अमेरिका में ही लगभग 46 लाख होटल रूम्स हैं . जाहिर है कि हर कमरे में दिए गए साबुन या शैम्पू का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता . अगर इन्हें यूं ही फेंक दिया जाए तो हर साल लाखों टन कचरा तैयार हो सकता है . लेकिन अब इस बर्बादी को रोकने के लिए रिसाइक्लिंग एक अहम उपाय बन गया है .

‘क्लीन द वर्ल्ड’ की मुहिम ने बदली तस्वीर

‘Clean the World’ नामक एक संस्था ने इस समस्या का समाधान निकाला है . उन्होंने ‘Global Soap Project’ के तहत एक मुहिम शुरू की है, जिसके जरिए होटल्स में बचा हुआ साबुन और टॉयलेटरीज़ रिसायकल कर नए उत्पाद बनाए जाते हैं . यह प्रक्रिया न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि विकासशील देशों के जरूरतमंदों को स्वच्छता उत्पाद उपलब्ध कराने में भी मददगार साबित हो रही है .

यह भी पढ़े:
गर्मी आते ही सस्ती हुई बीयर, 200 वालो बीयर केवल 50 रूपये में Beer Price Down

कैसे किया जाता है साबुन का रिसाइक्लिंग?

रिसाइक्लिंग प्रक्रिया में शामिल मुख्य स्टेप्स इस प्रकार हैं:

  • पहले सभी बचे हुए प्रोडक्ट्स इकट्ठा किए जाते हैं
  • फिर उन्हें धोकर कीटाणुरहित किया जाता है
  • उनकी शुद्धता की जांच होती है
  • इसके बाद उन्हें नए साबुन या हाइजीन किट्स में बदलकर जरूरतमंद लोगों को भेजा जाता है
  • सिर्फ एक कमरे के साबुन को रिसायकल करने में महीने का औसतन खर्च 75 सेंट्स आता है .

स्वास्थ्य की दृष्टि से क्यों जरूरी है यह पहल?

स्वच्छता की कमी के कारण डायरिया, निमोनिया जैसी बीमारियां विकासशील देशों में आम हैं .
इन बीमारियों से बचाव के लिए साबुन की भूमिका अहम होती है . ऐसे में जब होटल्स से मिले अधूरे साबुन को स्वास्थ्य अभियानों में इस्तेमाल किया जाता है, तो यह जीवन बचाने का साधन भी बनता है .

दान में भी दिए जाते हैं साबुन और शैम्पू

हर होटल रिसाइक्लिंग नहीं करता . कुछ होटल्स स्थानीय एनजीओ, अनाथालय, बेसहारा महिलाओं के लिए बने शेल्टर होम्स या सामुदायिक संस्थाओं को ये सामान दान करते हैं .
इसके जरिए कम्युनिटी हेल्थ और स्वच्छता मिशन को बल मिलता है .

यह भी पढ़े:
भारत में मानसून को लेकर बड़ी खुशखबरी, इस तारीख से झमाझम बरसेंगे बादल monsoon Update

रिफिल की चालाकी हो सकती है खतरनाक

हालांकि, कुछ होटल्स रखरखाव और खर्च बचाने के नाम पर पुराने कंटेनर्स को दोबारा रिफिल कर देते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है .
ऐसे प्रोडक्ट्स में संक्रमण फैलने का खतरा होता है . इसलिए यदि आप किसी होटल में रुकें तो टॉयलेटरीज़ की पैकेजिंग पर जरूर ध्यान दें .

मेहमान क्या कर सकते हैं?

  • होटल चेक आउट करते वक्त बचे हुए साबुन या शैम्पू को खुद इस्तेमाल के लिए साथ ले जाएं
  • होटल स्टाफ से पूछें कि क्या वे टॉयलेटरीज़ रिसाइक्लिंग या दान प्रक्रिया में भाग लेते हैं
  • जागरूकता फैलाएं, ताकि अधिक होटल इस नेक काम में शामिल हों

Leave a Comment

WhatsApp Group