School Beg Weight: स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक राहतभरी खबर है . देशभर में लागू की गई स्कूल बैग नीति 2020 को अब सख्ती से लागू किया जाएगा . चाहे सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट, अब कोई भी संस्था बच्चों पर भारी बैग लादने की मनमानी नहीं कर पाएगी . अगर किसी छात्र का बैग तय वजन से ज्यादा मिला या गले में पानी की बोतल लटकती पाई गई, तो स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार माना जाएगा .
डीईओ और डीईईओ को निर्देश
शिक्षा विभाग ने 5 अप्रैल को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) और जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों (DEEO) को पत्र जारी कर दिया है, जिसमें यह स्पष्ट निर्देश हैं कि स्कूल बैग नीति 2020 का पालन हर हाल में करवाया जाए . इस पत्र में कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के बैग का अधिकतम वजन तय किया गया है .
इस तरह तय हुआ स्कूल बैग का वजन
- कक्षा अधिकतम बैग वजन
- कक्षा 1-2- 1.5 किलो तक
- कक्षा 3-5- 2-3 किलो तक
- कक्षा 6-7- 4 किलो तक
- कक्षा 8-9- 4.5 किलो तक
- कक्षा 10 -5 किलो तक
अब नहीं चलेगा यूनिफॉर्म खरीद में दबाव
स्कूल केवल बैग के वजन ही नहीं, बल्कि यूनिफॉर्म खरीदने के मामलों में भी अब नियमों से बंधे होंगे . यदि कोई स्कूल बच्चों के अभिभावकों पर किसी एक दुकान से विशेष वर्दी खरीदने का दबाव बनाएगा, तो उसे भी नियमों की अवहेलना माना जाएगा . ऐसी स्थिति में कार्रवाई तय मानी जाएगी और जिलास्तरीय अधिकारियों को इस पर सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं .
बच्चों की सेहत पर भारी बैग का असर
पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि स्कूली छात्रों को अत्यधिक वजन उठाना पड़ता है . खासकर गर्मी के मौसम में बच्चों के गले में लटकी पानी की बोतलें, अतिरिक्त नोटबुक्स और निजी प्रकाशकों की किताबें बैग का वजन बढ़ा देती हैं . नतीजतन छात्रों को कमर दर्द, सिर दर्द, थकावट और आंखों की रोशनी कम होने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है .
स्कूलों में सुविधाओं की कमी एक बड़ी वजह
बैग भारी होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि कई स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं . छात्रों को हर किताब और नोटबुक रोजाना लानी पड़ती है, क्योंकि स्कूलों में लॉकर सिस्टम नहीं है . इसके अलावा, कई बार स्कूलों द्वारा प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी और भारी किताबें भी थोप दी जाती हैं, जो बैग का वजन बढ़ा देती हैं .
स्कूल बैग नीति 2020 पांच साल बाद लागू
हालांकि स्कूल बैग नीति 2020 को पांच साल पहले ही अधिसूचित किया गया था, लेकिन अब इसे प्रभावी रूप से लागू करने का निर्णय लिया गया है . शिक्षा विभाग का कहना है कि बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है . साथ ही, नियमों की अवहेलना करने पर स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई भी तय की गई है .
स्कूलों की जिम्मेदारी तय, अभिभावकों की भी भूमिका अहम
अब समय आ गया है कि स्कूल प्रबंधन और अभिभावक दोनों मिलकर बच्चों की सेहत को प्राथमिकता दें . स्कूलों को चाहिए कि वे प्रैक्टिकल टाइमटेबल बनाएं, विषयवार दिन तय करें, ताकि बच्चों को हर दिन सभी किताबें न लानी पड़ें . वहीं, अभिभावकों को भी बच्चों के बैग का वजन समय-समय पर जांचते रहना चाहिए .