School Safety: दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों के बाद दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी स्कूलों में एक नया सुरक्षा मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू कर दिया है. यह कदम बम की झूठी धमकियों और आपात स्थितियों से निपटने के लिए उठाया गया है. इस सुरक्षा प्रोटोकॉल में CCTV कैमरे लगाना, मॉक ड्रिल कराना, सुरक्षा ऑडिट और निकासी योजना तैयार करना अनिवार्य कर दिया गया है.
चार-स्तरीय रणनीति पर आधारित है नया SOP
दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) द्वारा तैयार इस SOP को चार मुख्य स्तंभों – रोकथाम, तैयारी, प्रतिक्रिया और रिकवरी पर आधारित किया गया है. इसका उद्देश्य है:
- आपात स्थिति में त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना
- स्कूलों में सतर्कता और तैयारी की संस्कृति को बढ़ावा देना
- हर महीने सुरक्षा चेकलिस्ट रिपोर्ट जिला अधिकारियों को भेजना
- यह प्रक्रिया पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के उद्देश्य से लागू की गई है.
झूठी धमकियों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी
SOP में कहा गया है कि झूठी बम धमकी या फर्जी अलार्म फैलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यह सख्ती छात्रों, अभिभावकों और स्कूल कर्मचारियों पर भी लागू होगी.
बता दें कि साल 2024-25 के दौरान दिल्ली के 200 से अधिक स्कूलों को बम की झूठी धमकियां मिली थीं, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है.
किन स्कूलों पर लागू होगा यह नया नियम?
शिक्षा निदेशालय के अनुसार, यह SOP तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है. इसके दायरे में ये संस्थान आएंगे:
- सरकारी स्कूल
- सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल
- अल्पसंख्यक संचालित स्कूल
निजी मान्यता प्राप्त गैर-सहायता प्राप्त स्कूल
यह SOP राष्ट्रीय सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार किया गया है और दिल्ली हाई कोर्ट के 14 नवंबर 2024 के निर्देशों के आधार पर बनाया गया है.
क्या-क्या करना होगा स्कूलों को?
- नई SOP के तहत स्कूलों को कई जरूरी कदम उठाने होंगे:
- स्कूल भवन का लेआउट अपडेट रखना होगा
- सभी प्रमुख स्थानों पर CCTV कैमरे लगाने होंगे
- आपात सेवाओं (पुलिस, फायर ब्रिगेड, ट्रैफिक पुलिस) से समन्वय सुनिश्चित करना होगा
- निकासी योजना बनानी होगी, खासकर संकट की स्थिति में
- स्कूल परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी
विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए अलग प्लान
SOP में स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि विशेष जरूरत वाले बच्चों (CWSN) के लिए अलग से निकासी योजना बनाई जाए. इसका उद्देश्य यह है कि किसी भी आपात स्थिति में कोई बच्चा पीछे न छूटे.
स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी छात्रों की सुरक्षित और त्वरित निकासी संभव हो, चाहे उनकी शारीरिक क्षमता कोई भी हो.