Summer School Holiday: देशभर के छात्रों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है . शिक्षा मंत्रालय ने ऐलान किया है कि 1 जून से 16 जुलाई 2025 तक सभी सरकारी और निजी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां रहेंगी . यह फैसला भीषण गर्मी से बच्चों को सुरक्षित रखने और उन्हें आराम देने के उद्देश्य से लिया गया है . इससे बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी राहत मिलेगी .
राज्यों के अनुसार छुट्टियों की तारीखों में हल्का बदलाव
हालांकि यह दिशा-निर्देश राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया है, लेकिन राज्य सरकारें अपने मौसम और शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार छुट्टियों की तारीखों में थोड़ा बदलाव कर सकती हैं . फिर भी, अधिकतर राज्य शिक्षा मंत्रालय के तय मानकों का पालन करेंगे, जिससे छात्रों को पर्याप्त अवकाश मिल सके .
किस राज्य में कब से कब तक बंद रहेंगे स्कूल?
देश के अलग-अलग राज्यों में गर्मी की छुट्टियों की समयसीमा कुछ इस प्रकार तय की गई है:
- उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली-एनसीआर और बिहार
- 1 जून से 16 जुलाई 2025 तक कुल 46 दिन की छुट्टियां
- महाराष्ट्र और कर्नाटक:
- 30 मई से 14 जुलाई तक स्कूल बंद रहेंगे
- राजस्थान (केवल सरकारी स्कूल):
- 31 मई से 15 जुलाई तक अवकाश
- पश्चिम बंगाल:
2 जून से 17 जुलाई तक, कुल 45 दिन की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां क्यों होती हैं ज़रूरी?
गर्मी की छुट्टियां केवल पढ़ाई से ब्रेक नहीं होतीं, बल्कि ये बच्चों की सेहत, मानसिक सुकून और विकास के लिए बेहद अहम होती हैं . लगातार स्कूल जाने की थकान के बाद यह समय उन्हें आराम और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर देता है .
बच्चों के लिए एक्टिव लर्निंग का मौका
46 दिनों का यह अवकाश बच्चों को नए कौशल सीखने, अपने शौक पूरे करने और परिवार के साथ वक्त बिताने का सुनहरा मौका देता है . इस दौरान बच्चे निम्नलिखित कार्यों से अपने अनुभव को समृद्ध कर सकते हैं:
परिवार के साथ समय बिताएं
- माता-पिता और दादा-दादी के साथ वक्त बिताने से बच्चों में भावनात्मक समझ और सामाजिक ज्ञान बढ़ता है .
- नई जगह की यात्रा करें
- ट्रैवलिंग से बच्चों को नया अनुभव और संस्कृति की जानकारी मिलती है .
- सामाजिक गतिविधियों में भाग लें
- आसपास के सामाजिक या रचनात्मक कामों में भाग लेकर बच्चों में जिम्मेदारी और टीमवर्क की भावना आती है .
छुट्टियों में क्या-क्या सिखा सकते हैं अभिभावक?
अभिभावक चाहें तो इस समय को बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद बना सकते हैं . बच्चों को नवीनता, अनुशासन, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता जैसी चीजें सिखाई जा सकती हैं .
- नई भाषा या स्किल्स सिखाना
- बुक रीडिंग की आदत डालना
- डिजिटल डिटॉक्स करना और प्रकृति से जुड़ना
- खेल, संगीत, कला जैसे रचनात्मक अभ्यास कराना