New Colony: हरियाणा में कॉलोनियों और गांवों के नाम बदलने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी क्रम में राज्य के खेल मंत्री गौरव गौतम ने पलवल जिले की दो प्रमुख कॉलोनियों के नाम बदलने की घोषणा की है. यह फैसला स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी मांग और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
इस्लामाबाद कॉलोनी का नया नाम होगा ‘ईश्वर नगर’
खेल मंत्री ने जानकारी दी कि पलवल स्थित इस्लामाबाद कॉलोनी का नाम अब ‘ईश्वर नगर’ कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह बदलाव स्थानीय नागरिकों की आस्था, संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप है.
लंबे समय से क्षेत्रवासी इस नाम परिवर्तन की मांग कर रहे थे, जिसे अब राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है.
शमशाबाद कॉलोनी बनेगी ‘सिद्धार्थ नगर’
इसके साथ ही शमशाबाद कॉलोनी का नाम बदलकर ‘सिद्धार्थ नगर’ रखा जाएगा. मंत्री ने बताया कि यह नाम भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और सिद्धांतों से प्रेरित है.
यह सामाजिक सौहार्द और शांति का प्रतीक बनेगा और कॉलोनी को एक नई सांस्कृतिक पहचान प्रदान करेगा. सरकार का उद्देश्य है कि स्थानीय पहचान को मजबूत किया जाए और लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाए.
जनभावनाओं का मिला समर्थन
स्थानीय निवासियों ने कॉलोनियों के नाम परिवर्तन को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि अब उनकी कॉलोनियों को ऐसे नाम मिले हैं जो उनकी आस्था, संस्कृति और पहचान से मेल खाते हैं.
लोगों ने इसे सरकार की जनभावनाओं के प्रति संवेदनशीलता और सकारात्मक सोच का प्रतीक बताया है.
जल्द जारी होगी राजस्व विभाग की अधिसूचना
खेल मंत्री ने कहा कि नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को औपचारिक रूप देने के लिए राजस्व विभाग जल्द ही अधिसूचना जारी करेगा. इससे सरकारी दस्तावेजों और रिकॉर्ड में भी नया नाम दर्ज किया जा सकेगा.
सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि नाम परिवर्तन से जुड़ी प्रक्रिया शीघ्र और पारदर्शी तरीके से पूरी हो.
सरकार का उद्देश्य
राज्य सरकार का मानना है कि किसी भी क्षेत्र की पहचान उसके नाम से होती है, और नाम ऐसा होना चाहिए जो स्थानीय लोगों की भावनाओं, परंपराओं और विरासत को दर्शाए.
नाम परिवर्तन केवल एक औपचारिक कार्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्स्थापन का माध्यम भी है.
यह है सरकार की नई पहल का संकेत
हरियाणा में गांवों और कालोनियों के नामों को स्थानीय संस्कार और आस्था से जोड़ने की नीति पर काम किया जा रहा है. यह कदम भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी नाम परिवर्तन की संभावनाओं को जन्म दे सकता है, खासकर जहां वर्षों से सांस्कृतिक असंगतियों को लेकर मांग उठती रही है.