Aadhar Card: हर व्यक्ति के पास उसके जीवन में आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हैं, जिनका उपयोग बैंकिंग, पहचान, टैक्स आदि के लिए किया जाता है . लेकिन बहुत से लोग इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी ये दस्तावेज सक्रिय रहते हैं और फ्रॉड का जरिया बन सकते हैं .
साइबर अपराधी मृत व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग कर फर्जी बैंक खाता खोल सकते हैं, लोन ले सकते हैं या अन्य वित्तीय धोखाधड़ी कर सकते हैं . ऐसे में जरूरी है कि मृत व्यक्ति के आधार और पैन कार्ड को कैंसल या लॉक कर दिया जाए . आइए जानते हैं इसके आसान तरीके .
पैन कार्ड को कैसे करें कैंसल?
पैन कार्ड को रद्द करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह दस्तावेज़ बैंकिंग, टैक्स और कई अन्य वित्तीय गतिविधियों से जुड़ा होता है . यदि किसी की मृत्यु हो गई हो, तो उसका पैन कार्ड दोनों तरीकों से कैंसल किया जा सकता है – ऑफलाइन और ऑनलाइन .
ऑफलाइन तरीका:
- एक आवेदन पत्र तैयार करें, जिसमें मृतक का पूरा नाम, मृत्यु की तारीख, पैन नंबर और पैन कैंसल कराने का कारण शामिल हो .
- पत्र में उस व्यक्ति की जानकारी भी दें जो पैन रद्द करवा रहा है (जैसे बेटा, पत्नी आदि) .
- डेथ सर्टिफिकेट, पहचान पत्र और नातेदारी का प्रमाण जैसे जरूरी दस्तावेज़ साथ में संलग्न करें .
- यह आवेदन आयकर विभाग के AO (Assessing Officer) को दिया जाता है . AO की जानकारी आयकर की वेबसाइट पर मिल जाती है .
ऑनलाइन तरीका:
- NSDL की वेबसाइट पर जाएं .
- Form 49A भरें और Correction Application के ऑप्शन में जाकर पैन कैंसलेशन रिक्वेस्ट दर्ज करें .
- आवश्यक दस्तावेज़ों की हार्ड कॉपी नजदीकी NSDL सेंटर में जमा करें .
आधार कार्ड कैसे करें लॉक या कैंसल?
फिलहाल UIDAI आधार कार्ड को पूरी तरह कैंसल करने की सुविधा नहीं देता, लेकिन आप मृतक का बायोमेट्रिक डेटा लॉक कर सकते हैं ताकि कोई भी उसका गलत इस्तेमाल न कर सके .
SMS के माध्यम से बायोमेट्रिक लॉक करें:
- मृतक के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से 1947 पर SMS करें:
- GETOTP आधार के आखिरी 4 अंक
- OTP आने के बाद दूसरा SMS भेजें:
- LOCKUID <आधार के आखिरी 4 अंक> <6 अंकों का OTP>
UIDAI वेबसाइट से लॉक करें
- UIDAI की वेबसाइट पर लॉगिन करें .
- “My Aadhaar” सेक्शन में जाएं और “Lock/Unlock Biometrics” चुनें .
- OTP के माध्यम से वेरिफाई करें और “Lock Biometrics” पर क्लिक करें .
- इससे मृत व्यक्ति की फिंगरप्रिंट, आइरिस स्कैन जैसी जानकारी सुरक्षित हो जाती है .
समय रहते कार्रवाई क्यों है जरूरी?
आज के समय में साइबर फ्रॉड और पहचान की चोरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं . किसी मृत व्यक्ति के नाम से अगर कोई धोखाधड़ी होती है, तो उसका सीधा प्रभाव उसके परिजनों पर पड़ सकता है .
- बैंकिंग फर्जीवाड़ा
- फर्जी सिम कार्ड
- फर्जी ट्रांजैक्शन या लोन
जांच-पड़ताल में परिवार को देना पड़ सकता है जवाब
इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी पहचान से जुड़े दस्तावेजों को या तो रद्द किया जाए या डिजिटल रूप से लॉक कर दिया जाए .