Monsoon Update: देशभर में लगातार बदल रहे मौसम के बीच भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मानसून 2025 को लेकर बड़ी जानकारी साझा की है . मई का आधा महीना बीत चुका है और इस बार की गर्मी आमतौर पर जितनी तीव्र होती है, उससे कम महसूस की जा रही है . इसका कारण है लगातार सक्रिय हो रहे वेदर सिस्टम, जिससे देश के कई हिस्सों में बारिश का दौर बना हुआ है .
बंगाल की खाड़ी तक पहुंचा मानसून
मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मानसून दक्षिण बंगाल की खाड़ी और निकोबार द्वीप समूह तक पहुंच चुका है . अगले 3 से 4 दिनों में मानसून और तेजी से आगे बढ़ेगा, जिससे कई इलाकों में बारिश की गतिविधियां और बढ़ सकती हैं .
तीन से चार दिन में तेजी से बढ़ेगा मानसून
आईएमडी (IMD Monsoon Update) के अनुसार, अगले कुछ दिनों में मानसून का विस्तार दक्षिण अरब सागर, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के शेष क्षेत्रों में होगा . इससे यह साफ हो गया है कि मानसून इस बार समय से पहले भारतीय भूमि पर प्रवेश करने की तैयारी में है .
निकोबार में हो रही है भारी बारिश
बीते दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की गई है . इस क्षेत्र में पछुआ हवाएं सक्रिय हैं और उनकी गति समुद्र तल से 4.5 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक पहुंच चुकी है . हवा की स्पीड 20 समुद्री मील से अधिक मापी गई है, जो मानसून के विस्तार का संकेत देती है .
OLR में गिरावट से संकेत मिला मानसून के सक्रिय होने का
मौसम विभाग ने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन’ (OLR) में कमी आई है . यह बादल छाए रहने का संकेत है और यह स्थिति मानसून के आगमन के आवश्यक मानकों को पूरा करती है . OLR मूल रूप से पृथ्वी द्वारा अंतरिक्ष में भेजी गई इंफ्रारेड ऊर्जा की मात्रा को दर्शाता है . जब यह घटता है, तो यह घने बादलों की उपस्थिति का सूचक बनता है .
27 मई को केरल में प्रवेश करेगा मानसून
आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल पहुंचेगा . आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल में दस्तक देता है, लेकिन अगर यह 27 मई को आता है, तो यह 2009 के बाद पहली बार होगा जब मानसून इतनी जल्दी पहुंचेगा . साल 2009 में भी मानसून ने 23 मई को केरल में दस्तक दी थी .
देशभर में फैलाव और वापसी का सामान्य चक्र
भारत में मानसून केरल से शुरू होकर 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है . इसके बाद यह धीरे-धीरे 17 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू करता है, और 15 अक्टूबर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है . इस वर्ष अगर मानसून समय से पहले आता है, तो फसलों की बुआई, जलस्तर और तापमान में राहत जैसे कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं .