हरियाणा के इस गांव को खाली करवाने का आदेश जारी, लोगों की उड़ी रातों की नींद Govt Ordor

Govt Ordor: हरियाणा के कैथल जिले के पोलड़ गांव को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने खाली कराने के लिए कोर्ट का नोटिस भेजा है. विभाग यहां खुदाई करना चाहता है, जिसे लेकर गांव में तनाव का माहौल बन गया है. बताया जा रहा है कि यह स्थान रावण की जन्मस्थली और उसके दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली के रूप में माना जाता है. ऐसे में ASI को लगता है कि यहां ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं मिल सकती हैं, जिन्हें संरक्षित किया जाना जरूरी है.

ASI का नोटिस

गांव में जारी तनाव के बीच गावों के की लोगों की हालत बिगड़ गई थी जिसके बाद वह मानसिक रूप से काफी परेशान थीं. इसके बाद गांव के लोग गुहला के विधायक देवेंद्र हंस से मिलने पहुंचे और मांग की कि गांव खाली करवाने की कार्रवाई को रोका जाए.

कुल 206 घरों को मिला गांव खाली करने का नोटिस

गांव पोलड़ में 206 परिवार रहते हैं, जिन्हें ASI ने नोटिस भेजकर गांव खाली करने का आदेश दिया है. यह गांव कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास स्थित है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पहले भी 2018–19 में ऐसे नोटिस मिले थे, लेकिन तब कोविड-19 के चलते कार्रवाई टल गई थी. अब दोबारा नोटिस मिलने से लोगों में बेघर होने का डर गहराया है.

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पहले भी तीन बार कर चुकी है ASI खुदाई, नहीं मिला कुछ

ग्रामीणों के अनुसार, ASI ने अब तक पोलड़ गांव में तीन बार खुदाई की है – पहली बार 1833 में, दूसरी बार 1960 में और तीसरी बार 2013 में. तीनों बार खुदाई में कोई ऐतिहासिक अवशेष नहीं मिले. अब ASI ने उस स्थान पर खुदाई की योजना बनाई है, जहां आज लोगों के घर बने हुए हैं.

न कोई पुनर्वास योजना, न रहने की व्यवस्था

ग्रामीणों का कहना है कि ASI गांव को खाली कराने का नोटिस तो दे रहा है, लेकिन पुनर्वास की कोई योजना नहीं है. गांव के लोग यहां पार्टीशन के समय से बसे हुए हैं और आज भी यहां एक आश्रम मौजूद है, जिसे रावण के पूर्वजों से जोड़ा जाता है.

उनका कहना है कि अगर खुदाई जरूरी है तो पहले वैकल्पिक जगह दी जाए, ताकि लोग बेघर न हों.

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धार्मिक आस्था भी जुड़ी है पोलड़ गांव से

ग्रामीणों और इतिहासकारों के अनुसार, पोलड़ गांव का संबंध रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली से है. यहां एक प्राचीन सरस्वती मंदिर और एक पुराना शिवलिंग है, जिसे पुलस्त्य मुनि से जोड़ा जाता है. मंदिर की देखरेख महंत देवीदास नागा साधु द्वारा की जाती है.

महंत बताते हैं कि यह मंदिर महंत राघवदास ने बनवाया था, जिन्हें सपने में इस स्थान की महत्ता का बोध हुआ था.

सरस्वती नदी की पहचान और धार्मिक आस्था

गांव के पास से गुजरने वाली एक नहर को ग्रामीण सरस्वती नदी का स्वरूप मानते हैं. उनकी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां पुलस्त्य मुनि ने तपस्या की थी, जिसे इक्षुपति तीर्थ कहा जाता है. ऐसे में ग्रामीणों के लिए यह स्थान सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का केंद्र है.

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इतिहासकार भी मानते हैं प्राचीन नगर होने की संभावना

इतिहासकार बीबी भारद्वाज के अनुसार, यह स्थान एक प्राचीन नगर रहा है, जो किसी प्राकृतिक आपदा में उजड़ गया था. बाद में इसे दोबारा बसाया गया और इसका नाम पड़ा – थेह पोलड़, जहां “थेह” का अर्थ होता है – वह स्थान जहां पहले कोई बस्ती रही हो.

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