First Class Admission: प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन अब पहले जैसा आसान नहीं रह गया है . राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत एजुकेशन सिस्टम में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं . इन्हीं बदलावों में से एक है कक्षा 1 में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र को लेकर केंद्र सरकार का निर्देश . अब सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि कक्षा 1 में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र कम से कम 6 साल होनी चाहिए .
केंद्र सरकार ने जारी किया नया निर्देश
शिक्षा मंत्रालय ने 15 फरवरी 2024 को एक आधिकारिक पत्र जारी किया जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए जल्द ही एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो रही है . ऐसे में यह अपेक्षा की जाती है कि अब सभी राज्यों और यूनियन टेरिटरीज में कक्षा 1 में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र 6 साल से अधिक होनी चाहिए . यह निर्देश NEP 2020 और निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) के तहत जारी किया गया है .
सोशल मीडिया पर भी दी जानकारी
शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर भी अपडेट दिया है . मंत्रालय ने बताया कि यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और बच्चों की मानसिक तैयारी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है . इसके अलावा, मंत्रालय ने राज्यों को पहले भी इसी संबंध में नोटिस भेजा था और अब उसी दिशा में फिर से ध्यान आकर्षित किया गया है .
पहले भी रखी गई थी यही उम्र सीमा
पिछले साल भी केंद्र ने NEP 2020 के अनुसार कक्षा 1 में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र 6 वर्ष तय करने का प्रस्ताव दिया था . तब से इस पर राज्यों और स्कूलों में लगातार चर्चा हो रही है . कुछ स्कूलों ने तो इस उम्र सीमा को लागू भी कर दिया था . अब केंद्र ने फिर से यह नियम स्पष्ट कर दिया है ताकि पूरे देश में एकसमान नियम लागू हो सके .
अब भी कुछ राज्यों में है छूट
हालांकि केंद्र ने यह निर्देश दिया है, लेकिन 2022 में संसद सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने जानकारी दी थी कि देश के 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां अभी भी 6 साल से कम उम्र के बच्चों को कक्षा 1 में एडमिशन मिल सकता है . ये राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं –
असम, गुजरात, पुडुचेरी, तेलंगाना, लद्दाख, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, गोवा, झारखंड, कर्नाटक और केरल .
स्कूल प्रिंसिपल को मिल सकती है छूट देने की छूट
कुछ खास मामलों में स्कूलों के प्रधानाचार्य (Principal) को यह अधिकार दिया गया है कि वे उम्र की न्यूनतम सीमा में छूट दे सकें . यानी अगर किसी छात्र की उम्र कुछ महीने कम भी हो और उसके अभिभावक विशेष अनुमति के लिए आवेदन करें, तो प्रिंसिपल की अनुमति से एडमिशन मिल सकता है . हालांकि, ऐसे फैसले पूरी तरह से स्कूल प्रशासन के विवेक पर निर्भर करेंगे .
NEP 2020 क्यों कर रही है उम्र पर जोर?
NEP 2020 के तहत यह जोर दिया गया है कि बच्चे जब पहली कक्षा में प्रवेश करें, तो वे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से उस स्तर पर हों, जहां से वे औपचारिक शिक्षा को सही रूप में ग्रहण कर सकें . बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए, सरकार चाहती है कि कम उम्र में स्कूलिंग की शुरुआत न हो जिससे बच्चे अनावश्यक मानसिक दबाव में न आएं .
अभिभावकों को क्या करना चाहिए?
अब जब यह नियम लगभग देशभर में लागू किया जा रहा है, तो अभिभावकों को एडमिशन से पहले अपने बच्चे की उम्र की पुष्टि अवश्य कर लेनी चाहिए . इससे न केवल एडमिशन प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि भविष्य में दस्तावेजों और उम्र संबंधी किसी विवाद से बचा जा सकेगा .