New Ropeway Project: उत्तराखंड की वादियों में घूमने जाने वालों पर्यटकों के लिए राहत भरी खबर है . जहां पहले देहरादून से मसूरी तक की दूरी तय करने में सड़क मार्ग से 1 घंटे से अधिक समय लगता था, अब वह सफर मात्र 20 मिनट में पूरा होगा . इसकी वजह है देश का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे, जो देहरादून और मसूरी के बीच बन रहा है .
देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना का विवरण
यह रोपवे 5.2 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रियों को तेज, आरामदायक और प्रदूषण रहित यात्रा का अनुभव देगा . यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी बेहद फायदेमंद होगा .
मोनो-केबल गोंडोला तकनीक से लैस होगा रोपवे
इस रोपवे को अत्याधुनिक मोनो-केबल डिटैचेबल गोंडोला सिस्टम तकनीक से बनाया जा रहा है .
इस तकनीक की खासियत है कि स्टेशनों पर गोंडोला कैबिन खुद-ब-खुद धीमी गति पकड़ लेते हैं, जिससे चढ़ना और उतरना बेहद आसान हो जाता है .
यह तकनीक पहले से ही फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों में प्रयोग हो चुकी है .
मसूरी पर्यटन को मिलेगा जबरदस्त बढ़ावा
देहरादून से मसूरी की यात्रा में अक्सर ट्रैफिक जाम और मौसम की मार के कारण देरी होती है . लेकिन इस रोपवे के बन जाने के बाद पर्यटक कम समय में अधिक आराम से मसूरी पहुंच सकेंगे .
पर्यटन उद्योग को इससे बड़ा फायदा मिलेगा, साथ ही स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे .
कौन बना रहा है यह मेगा प्रोजेक्ट? (Consortium Details)
इस परियोजना को मसूरी स्काई कार प्राइवेट लिमिटेड बना रही है . यह कंपनी एक कंसोर्टियम का हिस्सा है जिसमें शामिल हैं:
FIL इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (भारत)
POMA S.A.S (फ्रांस)
SRM इंजीनियरिंग LLP (भारत)
अंतरराष्ट्रीय तकनीकी साझेदारी के चलते यह प्रोजेक्ट विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाला होगा .
रोपवे पहुंचेगा 1,000 मीटर की ऊंचाई तक
यह रोपवे लगभग 1,000 मीटर की ऊंचाई तक जाएगा, जिससे यह दक्षिण एशिया का सबसे ऊंचा और लंबा पैसेंजर रोपवे बन जाएगा . इसकी वजह से भारत न केवल टेक्नोलॉजिकल फ्रंट पर बल्कि पर्यटन बुनियादी ढांचे में भी बड़ी छलांग लगाएगा .
यमुनोत्री रोपवे परियोजना भी इसी समूह को मिली
इस कंसोर्टियम को यमुनोत्री रोपवे परियोजना का निर्माण भी सौंपा गया है . यह 3.8 किलोमीटर लंबा रोपवे खरसाली से यमुनोत्री तक बनेगा . यह रोपवे हजारों तीर्थयात्रियों को पैदल चढ़ाई से राहत देगा और यात्रा को अधिक सुगम और सुरक्षित बनाएगा .
यह परियोजना 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है .